"जिज्ञासु"का काव्य जगत
[रामलाल जाणी के ब्लॉग पर आपका स्वागत💐💐💐💐]
Home
CONTECT
About
POEMS
JAT HISTORY
वैचारिक लेखन
Sunday 21 October 2018
गाटे चलता गया गोधङा,ऊँठों
रा खला खेत गया।
खलां माथे खाता गूगरी वै मिनखाँ रा हैत गया।।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment