Wednesday 10 October 2018

राम,रामायण,रामलीला - गांवों की तरफ

Suman Krishnia

राम,रामायण,रामलीला - गांवों की तरफ
1960 के दशक में एक project शुरू किया गया था,जिसके तहत रामलीला मंचन का रूख गांव व कस्बों की तरफ किया गया था,उससे पहले राम लीला मंचन कुछ मुख्य शहरों तक ही सीमित था। इस प्रोजेक्ट को गांव कस्बों की तरफ ले जाने के पीछे तर्क था- गांवों व कस्बों में राष्ट्भक्ति व एकता की भावना जाग्रत करना ( यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पहले, दूसरे विश्वयुद्ध में ज्यादातर सैनिक गांव कस्बों से थे, तथा आजाद हिंद फौज के सैनिक भी उन्हीं मे से थे, तो यह तो बहुत सामान्य बात थी की ग्रामीण भी देश,आजादी व राष्टृयिता से वाकिफ रहे होंगे ) ।
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इस प्रोजेक्ट के प्रेणेता थे, डाँ राम मनोहर लोहिया। इसके संदर्भ आपको मिलेंगे उनके राजनितिक सचिव ,श्री भटनागर द्वारा लिखित बायोग्राफी में

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इसी प्रोजेक्ट के तहत , 1971-72 में , सीलोन (अमीन सयानी वाला रेडियो सीलोन) देश का नाम बदल कर किया गया था श्रीलंका (आज का श्रीलंका), जिसके लिए इंडियन govt ने आर्थिक सहायता प्रदान की थी वहां की तत्कालीन सरकार की।
आप किसी श्रीलंका के नागरिक से यदि राम,रावण,सीता आदि के बारे में पूछेंगे तो उनकी प्रतिक्रिया वैसी ही होगी जैसी जब आप किसी अंग्रेजी नही जानने वाले से अंग्रेजी में रास्ता पूछोगे। मतलब वहां ऐसे कोई चरित्र नहीं हुऐ,ना ही ऐसी कोई घटनाऐं।
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1982 एशियाड खेलों के दौरान व बाद में टीवी का प्रचलन बढ गया, उस पर आने वाले कार्यक्रम पहले सरकार द्वारा बनाये जाते थे,जैसे बुनियाद, भारत एक खोज,नुकड्ड आदि, चित्रहार के बारे में सब जानते ही है। अशलीलता नहीं थी।
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1985 के दौरान टीवी के प्रोग्राम निजी कंम्पनियों को दिये जाने शुरू हुए और उसी के बाद रामायण धारावाहिक ने राम लीला मंचन का स्थान लेना शुरू कर दिया, अब राम,रावण,सीता की कहांनिया आमजन की जुबान पर आ गई, बहुत सारे लोग इस धारावाहिक के राम,सीता इत्यादि चरित्रों को ही असली मानने लगे व पूजा करने लगे, मजेदार बात यह है कि यह लोग निजी जीवन में शराब,सिगरेट,मांसाहर सब करते थे।
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1989 में सत्ता परिवर्तन, राजनितीक रस्सा कस्सी, मंडल कमीशन का लागू होना। अब चूंकि राम,रामायण,सीता आमजन की जुबान पर थी, तथा अयोद्धा को काफी समय से गीली लकडियों को जलाकर धीमी आंच पर रखा गया था ,अब उसकी आंच को तेज कर दिया गया, चंदा इकट्ठा किया गया, यात्रायें निकली, और आगे जो हुआ सब जानते हैं।
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इन्हीं समय के दौरान अमेरिका व रूस ने तकनीकी यात्रा की जिसका एक महत्पूर्ण शुरूआत 1959 में की जब चंद्रमां पर मनुष्य भेजने के प्रोजेक्ट की नींव रखी गई, 1969 में इंटरनेट तकनीक की नींव रखी गई, हब्बल दुरबीन लांच की गई।
हमारा देश धर्म की यात्रा पर आगे बढ रहा था, दूसरे देश विज्ञान व तकनीक की यात्रा पर आगे बढ रहे थे/हैं।
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1960 से शुरू हुए रामायण प्रोजेक्ट ने सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण क्षेत्र को व यूवा पीढी को बहूत नुकसान पंहुचाया है तथा कई साल पीछे धकेल दिया है। चूंकि अब रामायण की यात्रा पूरी हो चूकी है तो युवा पीढी को व्यस्त रखने के लिए कांवड़ यात्रा का अवतार पेश किया गया है, अब अगले कुछ वर्षों में आप के सामने नये अवतार भी पेश किये जायेंगे।
Suman Krishnia
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