Saturday, 21 March 2020

व्याख्याता दल्लाराम सहारण जीवन लेख

#आत्मकथ्य_आभार
                            ऐ खुदा!
                                        धन्यवाद।
                       जीवन में दुःख, मुसीबत, जोखिम और चुनौतियों को देने के लिए, क्योंकि मैंने अपने जीवन में सबसे अधिक ऐसे ही हालातों से सीखा हैं।।
           मेरा जन्म सन 1986 ईस्वी अर्थात संवत 2044 (चमाळे काळ)में सियोलों का डेर (बामरला) में हुआ। मेरी प्राथमिक शिक्षा (1991-96)घर के पास ही स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय सियोलों का डेर में प्रथम गुरु चेतनराम जी सियोल एवं पूनमाराम जी भांभू के सानिध्य में हुई तत्पश्चात माध्यमिक शिक्षा (1996-2001)के दौरान राजकीय माध्यमिक विद्यालय बामरला में श्री नवलाराम जी सियोल,स्वर्गीय सोनाराम जी सारण, सत्यपाल सिंह जी ,ओमप्रकाश जी जांगिड़ ,सुखराम जी बाना, गुलाब सिंह जी परिहार, स्वर्गीय प्रकाश जी ,स्वर्गीय रूपाराम जी लूखा, जयंतीलाल जी सोनी, बाबूलाल जी खत्री इत्यादि गुरुजनों का सानिध्य मिला जो मेरे जीवन के अध्ययन काल का स्वर्णिम युग था। यहीं से कक्षा दसवीं में 70.17% अंकों के साथ कक्षा में द्वितीय स्थान हासिल किया और उसके बाद राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय स्टेशन रोड बाड़मेर में 11वीं क्लास में विज्ञान वर्ग में प्रवेश लिया लेकिन साइकिल चलाने के शौक, शहरी चकाचौंध, अंबर सिनेमा की फिल्में, नए मित्रों की संगति, स्वविवेक के अभाव , विद्यालय में नियमित कक्षाओं के अभाव, किशोरावस्था की स्वाभाविक प्रवृत्तियों, मार्गदर्शन की कमी एवं कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से ट्यूशन न जाने के कारण केमिस्ट्री-फिजीक्स मे पूरक/सप्लीमेंट्री आ गई (यह मेरे लिए बड़ा आघात था मगर कहावत भी है ठोकरें ही आदमी को चलना सिखाती है )जिसकी वजह से कक्षा 12वीं में पुनः राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय धोरीमन्ना में कला वर्ग में प्रवेश लेकर मात्र 57% अंकों के साथ 2003में उत्तीर्ण की। दसवीं की बनिस्पत बारहवीं में 14% अंकों की गिरावट आते ही माथा ठनका मगर 'बीति ताहि बिसार दे आगे की सुध लेहि' की तर्ज पर कुछ करने की ठानी।
               12वीं की परीक्षा के बाद कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते कुछ महीनों तक धोरीमना में ही राठी कम्युनिकेशन (STD) पर ₹500 मासिक पर नौकरी की, उसके बाद बाड़मेर कॉलेज में अध्ययन के दौरान निजी स्कूलों में ₹600 मासिक पर पढ़ाना भी प्रारंभ किया और साथ ही होम ट्यूशन भी पढ़ाया। ऐसे करते-करते 2006 में ग्रेजुएशन कंपलीट किया तत्पश्चात धोरीमना में स्थित श्री विजय मेमोरियल स्कूल में 2006-11तक अध्यापन कार्य करवाते हुए राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर से B.Ed एवं जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर से M.A(हिंदी साहित्य) की डिग्री भी हासिल की।
                  2011-12 में एम के मेमोरियल शिक्षण संस्थान सीकर(जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट) में नौकरी करते हुए तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती परीक्षा में रेंक 80 के साथ लेवल -2 हिंदी के पद पर चयनित होकर 11 सितंबर 2012 को राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय तिलोक नगर( लोहारवा) में पदस्थापन हुआ जहां नौकरी करते हुए वरिष्ठ अध्यापक एवं व्याख्याता भर्ती की भी तैयारी की मगर थोड़े-से अंतर से वंचित रह गया लेकिन इसी दरम्यान जून 2015 में यूजीसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में प्रथम प्रयास में हिंदी साहित्य में NET डिग्री के साथ JRF अवार्ड हेतु भी चयन हुआ जिसने मेरे अरमानों को पंख लगा दिए, उस समय पीएचडी करने का विचार आया मगर इसी दौरान पुनः व्याख्याता भर्ती आने पर पीएचडी का सपना छोड़कर इस परीक्षा की तैयारी में जुट गया और पूरे राजस्थान में 116वीं रेंक के साथ हिंदी साहित्य विषय में व्याख्याता पद पर चयनित होकर 21 जून 2017 को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केकड़ में पदभार ग्रहण किया जहां मैं अभी तक कार्यरत हूं और इन 15 सालों के अध्यापन काल के दौरान अपने कर्तव्य का पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन करते हुए हजारों विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में यथासंभव समर्पण किया और आज इस बात की खुशी है कि सैकड़ों विद्यार्थी आज सफलता के उन उच्चतम मुकामों पर पहुंचे हैं(जिनमें मैं भी अपने योगदान का अंश ढूंढता हूं) जहां मैं नहीं पहुंच पाया अर्थात गुरु भले ही गुड़ रह गए मगर चेले शक्कर हो गए।
                   खैर सपनों और महत्वाकांक्षाओं का कोई अंत नहीं मगर अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं समाज के वरिष्ठजन के आशीर्वाद, मित्रों के स्नेह एवं छोटों की दुआओं के  फलस्वरूप आज अपने जीवन में सुख एवं संतोष का अनुभव कर रहा हूं।
 
                 आज मेरे कागजी जन्मदिन(21 मार्च) के अवसर पर आप सभी वरिष्ठ जनों, गुरुजनों, समवयस्क मित्रों, छोटे भाइयों एवं अन्य सभी  सोशल मीडिया के जाने -अनजाने मित्रों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस अदने- से व्यक्ति को जो प्यार, स्नेह, अपनत्व और आशीर्वाद अर्पित किया है , उसे पाकर अभिभूत हूं एवं आप सबके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए परम पिता परमेश्वर से कामना करता हूं कि आप सब बड़ों का आशीर्वाद, समकक्षों का दोस्ताना एवं छोटों का स्नेह सदैव यूं ही मुझे मिलता रहेगा ।
       कुछ मित्रों ने मेरे बारे में तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बनाते हुए जो अतिशयोक्ति पूर्ण व्यक्तित्व चित्रण किया है, उसे पढ़कर मैं स्वयं को बौना महसूस कर रहा हूं क्योंकि मुझे खेद है कि मैं स्वयं को इतनी प्रशंसा के काबिल नहीं बना सका और मैं यह बिना किसी हिचक एवं संकोच के स्वीकार भी करता हूं कि मेरे निजी जीवन में अभी अनगिनत कमियां हैं मगर भविष्य में आपके इन शब्दों को सही अर्थों में चरितार्थ करने का भरसक प्रयत्न करूंगा।
         हां, इतना संतोष जरूर है कि मेरी वजह से आज तक मेरे परिवार को कभी कोई उलाहना नहीं सुनना पड़ा और ना ही उन्हें कहीं नीचा देखने की नौबत आई। साथ ही परिस्थितियों को समझते हुए कक्षा बारहवीं के बाद कभी घर से पढ़ाई का खर्चा मांगे बिना भी अपने पैरों पर खड़ा होने में कामयाब हो सका।
              हालांकि इस सोशल मीडिया की दुनिया में प्रवेश किए हुए मुझे बहुत कम समय हुआ है लेकिन इस आभासी दुनिया में भी आप सब ने जिस प्रकार सच्ची मित्रता का अहसास करवाया है, इसके लिए आप सब का शुक्रगुजार हूं ।साथ ही यह भी अनुरोध करता हूं कि इस सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर जाने अनजाने में कहीं कोई  त्रुटि हुई हो तो क्षमा प्रदान करना हालांकि कभी कभार मेरे शब्दों में त्रुटि जरूर हुई होगी लेकिन मेरी भावनाएं सदैव आप सब के प्रति शुद्ध थी ,है और रहेगी।
           ईश्वर से यही कामना है कि मुझे अपने कर्तव्य पथ पर सदैव अग्रसर रहने एवं आप सबके साथ मधुरतापूर्ण संबंध बनाए रखने की काबिलियत प्रदान करे।
पुनश्च आप सभी शुभचिंतकों का हार्दिक आभार एवं साधुवाद।

इंसान बना कर भेजा धरती पर,
करता हूं उस खुदा का आभार।
लेकर आए जो दुनिया में,
करता हूं माता-पिता का आभार।
ज्ञान दिया जिन्होंने,
करता हूं उन सद्गुरु का आभार।
हर मुश्किल, हर गम, जिस ने जीना सिखाया,
करता हूं उन सब का आभार।
सुख -दुख में खड़े रहे मेरे साथ,
उन सब दोस्तों का आभार।
जन्म से लेकर जो मेरे साथ है,
हर पल मुझे कुछ ना कुछ सिखाती है।
करता हूं उस जिंदगी का आभार।।(लव यू जिंदगी)

( नोट-कोरोना के भयंकर प्रकोप के चलते जन्मदिन की पार्टी कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ रही है जिसका मुझे बेहद खेद है लेकिन आप सब इस भीषण आपदा के समय स्वयं को एवं अपने परिवार और समाज को सुरक्षित रखने हेतु जनता कर्फ्यू में भागीदारी सुनिश्चित कर राष्ट्रहित में अपना अंशदान जरूर अर्पित करें क्योंकि जान है तो ही जहान है)

आपका अपना
दल्लाराम चौधरी

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