Tuesday, 13 June 2017

स्वार्थ

मेरा जीवन
तेरा जीवन
कौन जाने किसका जीवन
सब लगाते स्वार्थ के सागर में गोता
दिल कोई अपना कैसे होता
यह अपनापन तो एक बहाना है
स्वार्थ साधने के लिए
क्यों ओढ रखा है
यह झूठ का आवरण
क्यों देते हो अपनों की बलि
तुच्छ स्वार्थ की खातिर
खुद का जीवन नरक किया
औरों का क्यों करते हो ?
अरे शरीफों 

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