"जिज्ञासु"का काव्य जगत
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वैचारिक लेखन
Thursday, 22 June 2017
नर का कर्म
अगर चाहे नर तो हिमालय हिला सकता है,
आसमां से तारे तोड़ ला सकता है |
चीर धरा की छाती को नीर पा सकता है,
मुश्किलों को हरा सकता है ,
तूफानों को डरा सकता है |
@
मेरी यही पंक्तियां बाड़मेर पत्रिका में 23जून 2017 को प्रकाशित हुई थीं।
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