"जिज्ञासु"का काव्य जगत
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वैचारिक लेखन
Thursday, 21 September 2017
कविता: कन्या
कन्या
तुझे सलाम है मेरा,
जीवनभर सम्मान करूँगा तेरा।
तेरी खातिर सुख-चैन छोड़ दूँ,
जीवन को संघर्षों की ओर मोड़ दूँ।
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Tuesday, 19 September 2017
कविता: माँ की याद
माँ
दर्शन मात्र से तुम्हारे,
छू मन्त्र हो जाते दुःख सारे ।
रहकर तुझसे दूर सपने तुम्हारे आते,
खो सपने में तुम्हारे हो जाते ।।
तुम्हारा वो बेटे कहने का अंदाज
तुम्हारे हाथ के भोजन का वो मिठास
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Friday, 15 September 2017
रीट की सम्भावना पर फेरा पानी,
जय हो धन्य हो महारानी ।
देखो बेरोजगार सड़कों पर भटकता है,
राजनेता बेठा आलीशान भवन में सोमरस गटकता है ।
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