माँ दर्शन मात्र से तुम्हारे,
छू मन्त्र हो जाते दुःख सारे ।
रहकर तुझसे दूर सपने तुम्हारे आते,
खो सपने में तुम्हारे हो जाते ।।
तुम्हारा वो बेटे कहने का अंदाज
तुम्हारे हाथ के भोजन का वो मिठास
याद तुम्हारी दिलाता है माँ
बारम्बार रुलाता है माँ ।।
तुम्हारा वो सिर पर हाथ फेरना
मेरी दूर आवाज पर उचककर देखना
और कहना बेटा आ रहा है
बहुत रुलाता है माँ ।।
बालों को सहलाते तेरे हाथ
होले-होले कंघी करना
ललाट में काला टीका लगाना
और धीरे से राजा बेटा कहना
बहुत रुलाता है माँ ।।
वो कहना बेटा संभलकर चलना
रहकर दूर भी अपना ख्याल रखना
और किसी के मोबाइल से मिसकॉल करना
फिर मेरे कॉल का इंतजार करना
बहुत रुलाता है माँ ।।
तुम्हारी आवाज कानों में गूँजती है माँ
हर एक नारी में तुझे ढूढ़ता हूँ मैं
मैं खुद ही तुम हो जाता हूँ
माँ मैं हरपल तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ ।।
अमर उजाला काव्य और नवभारत टाइम्स ब्लॉग्स में प्रकाशित 20 सितंबर 2017
छू मन्त्र हो जाते दुःख सारे ।
रहकर तुझसे दूर सपने तुम्हारे आते,
खो सपने में तुम्हारे हो जाते ।।
तुम्हारा वो बेटे कहने का अंदाज
तुम्हारे हाथ के भोजन का वो मिठास
याद तुम्हारी दिलाता है माँ
बारम्बार रुलाता है माँ ।।
तुम्हारा वो सिर पर हाथ फेरना
मेरी दूर आवाज पर उचककर देखना
और कहना बेटा आ रहा है
बहुत रुलाता है माँ ।।
बालों को सहलाते तेरे हाथ
होले-होले कंघी करना
ललाट में काला टीका लगाना
और धीरे से राजा बेटा कहना
बहुत रुलाता है माँ ।।
वो कहना बेटा संभलकर चलना
रहकर दूर भी अपना ख्याल रखना
और किसी के मोबाइल से मिसकॉल करना
फिर मेरे कॉल का इंतजार करना
बहुत रुलाता है माँ ।।
तुम्हारी आवाज कानों में गूँजती है माँ
हर एक नारी में तुझे ढूढ़ता हूँ मैं
मैं खुद ही तुम हो जाता हूँ
माँ मैं हरपल तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ ।।
अमर उजाला काव्य और नवभारत टाइम्स ब्लॉग्स में प्रकाशित 20 सितंबर 2017
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