Thursday, 21 September 2017

कविता: कन्या

कन्या तुझे सलाम है मेरा,
जीवनभर सम्मान करूँगा तेरा।
तेरी खातिर सुख-चैन छोड़ दूँ,
जीवन को संघर्षों की ओर मोड़ दूँ।

मैं धन्य होऊंगा मेरा जीवन तेरे काम आए,
तेरी खातिर मरने वालों में मेरा नाम आए।
पुरुष प्रधान समाज ने तुझे गिना हीन,
अब तुम नहीं हो पुरुषों के अधीन।
अब हम अपनी अलग मंजिल बनाएँगे,
विघ्नों को चुटकियों में भगाएंगे।
गुलामी की बेड़ियाँ हो जाएगी नाकाम,
छू लेंगे इच्छित मंजिलें तमाम।
अब न कोई अधूरा सपना होगा,
हर जगह शासन अपना होगा।

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