Wednesday 1 August 2018

राष्ट्रवाद ,विचार की ताक़त बेमिसाल होती है......

                 विचार की ताक़त बेमिसाल होती है।            --- प्रो. एच. आर. ईसराण                                                                                             विचार की काट विचार से ही होती है। तलवार और गोली विचारों की क़त्ल करने में नाकाम रहती हैं। दुनिया का इतिहास इस बात का गवाह है।
तंग दायरों में कैद रहने को उकसाने वाला सोच कभी सही सोच नहीं हो सकता। जड़ता का जनक होता है ऐसा सोच। निष्ठुरता को पोषित करता है ऐसा सोच।
परस्पर विरोधी विचारों को समझने से ही सत्य का मार्ग आलोकित होता है। पता नहीं कौनसा विचार कब दिमाग की बंद खिड़कियों को खोल डाले। जब परस्पर विरोधी विचारों के बीच दिमाग़ में जंग छिड़ जाए तो समझो कि द्वंद का समाधान अब नजदीक है। बिना राग- द्वेष के सोच-विचार करेंगे तो हम अपने को इंसानियत के हितैषी विचार के समर्थन में खड़ा पाएंगे। दकियानूसी सोच के दायरे घुटन भरे होते हैं। कुछ वक़्त मुक्त विचारों की खुली हवा में सांस लेकर तो गुजारिए। ताजग़ी का एहसास होगा।

देशप्रेम और राष्ट्रवाद के हसीन जुमलों पर दिल-दिमाग़ फ़िदा कर नफ़रत की तान पर ताण्डव रचने वालों को स्वदेशी और विदेशी विचारकों/ लेखकों के इन विचारों के निहितार्थ को समझना चाहिए।
स्वदेशी-
"अपने देश या अपने शासक के दोषों के प्रति सहानुभूति रखना या उन्हें छिपाना देशभक्ति के नाम को लजाना है, इसके विपरीत देश के दोषों का विरोध करना सच्ची देशभक्ति है।" ----महात्मा गांधी
"देशप्रेम हमारा आख़िरी आध्यात्मिक सहारा नहीं बन सकता। मेरा आश्रय मानवता है। मैं हीरे के दाम में ग्लास नहीं ख़रीदूंगा और जब तक मैं ज़िदा हूँ मानवता के ऊपर देशप्रेम की जीत नहीं होने दूंगा।"
-----रविन्द्र नाथ टैगोर
"राष्ट्रवाद सांपों और अजगरों की एकता नीति है।"
- ----रविंद्र नाथ टैगोर
"राष्ट्रवाद आज के जमाने का कोढ़ है।"--- प्रेमचंद
विदेशी-
* "Nationalism is like cheap alcohol: first, it makes you drunk, then it makes you blind, and then it kills." ---Dan Fried
राष्ट्रवाद सस्ती शराब की तरह है: पहले, यह आपको मतवाला बनाता है, फिर आपको विवेकशून्य बनाता है, और उसके बाद वध कर डालता है।
* Nationalism is a state of mind in which you do not love your own country as much as you hate someone else's.
राष्ट्रवाद ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें आप अपने देश से उतनी ज्यादा मुहब्बत नहीं करते जितनी आप किसी दूसरे के देश से नफ़रत करते हैं।
*All of nationalism can be understood as a kind of collective narcissism.
----- Geoff Mulgan
राष्ट्रवाद कहीं का भी हो, उसे एक तरह का सामूहिक आत्ममोह / आत्मकामिका समझा जा सकता है।
*Our true nationality is mankind.'
----H.G. Wells
हमारी सच्ची राष्ट्रीयता/ राष्ट्रिकता मानव- जाति है।
*'Nationalism is power hunger tempered by self-deception.' --- George Orwell
राष्ट्रवाद आत्म-छल मिश्रित सत्ता की भूख है।
*'Patriotism is fundamentally a conviction that a particular country is the best in the world because you were born in it.'
---G.B. Shaw
देशभक्ति मूलतः यह धारणा है कि दुनिया में एक ख़ास देश श्रेष्ठ है क्योंकि उसमें आपका जन्म हुआ है।
*'Dissent is the highest form of patriotism.'
---Kyle Kulinski
असम्मत होना / विमति उच्च कोटि की देशभक्ति है।
*'Patriotism is the last refuge of the scoundrel.' --- Samuel Johnson
देशभक्ति लुच्चे- लफंगों की अंतिम शरणस्थली होती है।
मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि जब लोकतंत्र की हत्या की साज़िश रची जा रही होती है और दिन दहाड़े उसकी हत्या को अंज़ाम दिया जा रहा होता है, तब राष्ट्रवाद के ढोल-नगाड़े जोर -शोर से बजाकर उन्माद पैदा किया जाता है। लोक के दिमाग को विचारशून्य करने के लिए धर्म, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ,जातीय अस्मिता आदि की अफ़ीम चाटने की लत लगवा दी जाती है। हाथों में राष्ट्रीय झंडे की जगह धर्म-ध्वजा थमा दी जाती है। आमजन की आँखों को रिझाने के लिए पाखण्ड का भैरव नृत्य आयोजित किया जाता है। बाकी समय आँखें बंद कर भक्ति में लीन रहने का प्रसाद उदारता से बांटा जाता है। जीभ का इस्तेमाल सिर्फ़ सत्ता के जयकारे व गुणगान करने तक सीमित करने को शास्त्र -सम्म्मत घोषित किया जाता है। सवाल करना राष्ट्रद्रोह और धर्म विरोधी करतूत करार दिया जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दुत्कार कर सरकारी संरक्षण में अंधविश्वास एवं पाखण्ड को परवान पर चढ़ाया जाता है। लोक को प्रवचनों की गंगा में स्नान करते रहने के लिए पाबंद किया जाता है। मज़मा लगाकर मदारी के (कु) करतब/ लटके- झटकों पर आमजन को ताली पीटने की ट्रेनिंग दी जाती है। कॉर्पोरेट घरानों के स्वामित्व में आ चुका मीडिया अपने को भांड की भूमिका तक सीमित कर लेता है। सत्ता की मंशा पर शंका करने वाले को राष्ट्रद्रोही घोषित कर उस पर ट्रोल सेना से वार करवाए जाते हैं। भीड़ को क़ानून अपने हाथ में लेकर फ़ैसला करने की आज़ादी दे दी जाती है। भीड़ की शक़्ल में कोई आड़ लेकर बेगुनाहों पर ज़ुर्म ढहाने वालों का सार्वजनिक अभिनन्दन करने की परम्परा शुरू की जाती है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि स्मार्ट सेल्समेन का मतलब स्मार्ट एडमिनिस्ट्रेटर कभी नहीं होता। प्रोडक्ट में जब कोई दम नहीं होता तब उसे बेचने के लिए एडवरटाइजिंग व मार्केटिंग का सहारा लेना पड़ता है।
Note: Once a ruler becomes entirely advertising friendly, he ceases to be a ruler. 
ज्यों ही शासक/प्रधान सेवक पूरी तरह प्रचार- प्रेमी बन जाता है, वह शासक कतई नहीं रह पाता।
--- प्रो. एच. आर. ईसराण

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